सती प्रथा

हमारे सभ्य मानवीय इतिहास की कुछेक सबसे बड़ी कुरीतियों मे से एक है ….. जिसे एक कुरीति से ज्यादा हमारे समाज पर कलंक कहना अधिक उपर्युक्त होगा…!

उस से भी ज्यादा तो दुखद यह है कि….. इस संबंध मे समुचित जानकारी का अभाव …..आज के हिन्दू नौजवानों को हमेशा “”बचाव मुद्रा”” मे आने को विवश कर देता है ॰

आश्चर्यजनक रूप से….. हमारे समाज के बुद्धिजीवियों द्वारा “”सतीप्रथा”” को हिन्दू समाज के एक बड़ी कुरीति के रूप मे प्रस्तुत किया गया और यह प्रचारित किया गया कि….. “”सतीप्रथा”” पुरातन काल से ही हिन्दू समाज का हिस्सा रहा है….!

परंतु ….. कोई भी मनहूस बुद्धिजीवी आजतक यह बताने मे असफल रहा है कि…… दुनिया की पहली सती कौन थी और…. उसने सर्वप्रथम कब आत्मदाह किया था…?????

साथ ही…. ऐसे बुद्धिजीवियों के मुंह मे उस समय “मेंढक” चला जाता है …. जब उन्हे पूछा जाता है कि…. अगर “”सतीप्रथा”” पुरातन काल से ही हमारे हिन्दू समाज का हिस्सा रहा है तो…… हमारे धार्मिक ग्रन्थों …. खासकर वेद-पुराण या रामायण-महाभारत मे इसका जिक्र क्यों नहीं है…????

हालांकि, शातिर सेकुलरों द्वारा यह ज़ोर शोर से यह फैलाया जाता है कि….. महाभारत मे पांडु की पत्नी “माद्री” दुनिया की पहली सती थी…. और, उसने पांडु के मृत्यु उपरांत … उसी के साथ चिता मे जल गयी थी….!

परंतु…. महाभारत मे ऐसा इसीलिए हुआ था क्योंकि….. माद्री खुद को पांडु के मृत्यु का जिम्मेदार मानती थी…. और, वो आत्मग्लानि के कारण …. अपने पति पांडु के साथ जल गयी थी…!

यह बहुत कुछ ऐसा ही है …. जैसे आज के जमाने मे भी …. कई प्रेमी -प्रेमिका साथ मे आत्महत्या कर लेते हैं….. अथवा , एक के गुजर जाने के बाद … उसकी याद मे दूसरा भी मर जाता है या आत्महत्या कर लेता है…!

इसीलिए…. इस घटना को धार्मिक रंग नहीं दिया जा सकता है …. क्योंकि… वह एक भावनात्मक बात थी…. ना कि … धार्मिक …!

और तो और….. आपको यह जानकार काफी हैरानी होगी कि ….. “”सती”” का मतलब वो होता ही नहीं है….. जो, हमें इन मनहूस बुद्धिजीवियों द्वारा जबरदस्ती समझाने का प्रयास किया जाता है….!

“”सती”” का मतलब होता है…… अपने पति को पूर्ण समर्पित अर्थात …. पतिव्रता स्त्री…!

शायद हम हिन्दू एक महत्वपूर्ण बात भूल रहे हैं कि…… सती अनुसूइया , सती सीता , सती सावित्री इत्यादि दुनिया की सबसे “सुविख्यात सती” हैं …. और, इन सबमें से किसी ने भी….. ना तो आत्महत्या की है …. ना ही , अपने पति के मृत्यु उपरांत …. उनके साथ आत्मदाह किया है …!

हकीकत यह है कि….. “”सती प्रथा”” ….. हमारे हिन्दू धर्म के कारण नहीं बल्कि…. “”इस्लाम”” के कारण शुरू हुआ था…. और, इस्लाम का प्रभुत्व कम होने के साथ ही खत्म भी हो गया …!

“”सती प्रथा””…. और कुछ नहीं बल्कि…. “”जौहर प्रथा”” का ही विस्तार था….. जो कि … सामूहिक आत्मदाह से होते -होते कालांतर मे ….. व्यक्तिगत स्तर तक पहुँच गया था…!

जानकारी के लिए आपको याद दिला दूँ कि…… आज से करीब 1200 साल पहले …. मुस्लिमों ने जब भारत पर आक्रमण किया तो….. उनका काम सिर्फ लूट-मार और हिन्दू स्त्रियों का बलात्कार करना ही था…!

उसके बाद जब हमारे हिंदुस्तान मे मुगलों का “”शासन”” हो गया तो…. वे युद्ध मे हारे हुए हिन्दू राजाओं के परिवार के सभी स्त्रियों को लूटा हुआ माल समझ कर….. बलात्कार करते एवं उन्हे अपने हरम मे रखेल बनाकर रखते थे…!

इसीलिए…. युद्ध हार जाने की स्थिति मे….. हिन्दू रानियाँ , राजकुमारी और उनकी सभी दासियाँ ….. खुद को मुस्लिमों के बलात्कार से बचाने … एवं , अपनी सतीत्व , इज्जत और मन-सम्मान बनाए रखने के लिए ….. एक जगह अग्नि जलाकर …. सामूहिक आत्मदाह कर लेती थीं…. !

और चूंकि…. इस से मुस्लिम आक्रांताओं को कुछ भी हाथ नहीं लगता था तो…. वे आक्रांता …. राजपरिवार के स्थान पर….. राजकर्मचारियों के घर की महिलाओं को ही ले जाने लगे……!

इसीलिए… कुछ समय बाद …….. राजपरिवार के साथ राजकर्मचारियों के घर की स्त्रियाँ भी….. राजपरिवार के साथ …. “” जौहर “” मे छलांग लगाने लगी…..!

और…. इस तरह….. धीरे -धीरे खुद को मुस्लिमों के बलात्कार से बचाने … एवं , अपनी सतीत्व , इज्जत और मन-सम्मान बनाए रखने के लिए यह प्रथा …. निजी स्तर तक तक पहुँच गयी और….. थोड़ी अपभंश होकर …….. अपने पति के सामान्य मृत्यु के उपरांत भी….. स्त्रियाँ अपने पति की चिता के साथ ही अग्नि मे प्रवेश कर जाने लगी ….. जबकि… प्रारम्भ मे यह सिर्फ …. युद्ध मे वीरगति प्राप्त होने पर ही किया जाता था…..!

आगे चलकर …. यह “” व्यक्तिगत जौहर प्रथा “” पवित्र हिन्दू समाज मे एक सामाजिक नियम सा बन गया…. और, स्वेच्छा का स्थान “”जबरदस्ती”” ने लिया….. और, उसे “”सती प्रथा”” का नाम दे दिया गया …!

अंत मे…. आततायी मुगलों का वर्चस्व खत्म होने ….. तथा , अंग्रेजी शासन मे….. एक हिन्दू समाजसुधारक “”राजा राम मोहन राय “” के अथक प्रयासों के बाद …. 1829 ईस्वी मे अंग्रेजी शासन द्वारा “”सती प्रथा “” को प्रतिबंधित कर दिया गया और…. इसे इसे गैरकानूनी बना दिया गया….!

आप खुद ही सोच सकते हैं कि….. आज के वामपंथी किस तरह….. लोगों को भ्रमित करने का काम किया करते हैं….

और, जो प्रथा …. मुस्लिमों के अत्याचार के कारण ….. और, खुद को मुस्लिमों के बलात्कार से बचाने … एवं , अपनी सतीत्व , इज्जत और मन-सम्मान बनाए रखने के लिए ….. हिन्दू स्त्रियों द्वारा बेहद मजबूरी मे उठाया गया एक कदम था….. उसे , हिन्दू समाज के कुरीति की संज्ञा दे गयी…. और, उसे धर्म से जोड़ दिया गया …… जबकि, यह विशुद्ध रूप से …. मुस्लिमों से अत्याचार से ही प्रारम्भ हुआ था….!

और…. आश्चर्यजनक रूप से आज भी ऐसे बुद्धिजीवी ….. “”सती प्रथा”” की तो बात करते हैं …. परंतु उसका प्रारम्भ “”जौहर प्रथा”” और “”मुस्लिमों के अत्याचार”” की चर्चा तक नहीं चाहते …!

नोट : यह लेख किसी भी तरह से …. “”सती प्रथा”” का समर्थन नहीं करता है , ना ही इस लेख का उद्देश्य किसी भी समुदाय भावना को ठेस पहुंचाना है…!

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